18 नवंबर 2012

मरना कोई नहीं चाहता पर स्वर्ग सब चाहते हैं


क्या ईश्वर है ? Does God Exit ? इससे पहले हम इस पर विचार करें कि - जीवन क्या है ? और मृत्यु क्या है ? 1 योगी पायलट बाबा हुए है । उनके विचार गंभीरता से समझने योग्य है । उन्होंने कहा कि - मरने के बाद हमें या हमारे प्रिय व्यक्ति को स्वर्ग में स्थान प्राप्त हो । तभी तो जो मर जाता है । उसके लिये यह जाने विना कि उसे स्वर्ग मिला या नहीं  ” स्वर्गवासी ” शब्द का प्रयोग करते हैं । हम केवल यही नहीं चाहते है । बल्कि ये भी चाहते हैं कि हमारा प्रिय व्यक्ति - बेटा । बेटी । पति । पत्नी । प्रेमिका । पहले तो मरे ही नहीं । और अगर मर जाय । तो स्वर्ग में स्थाई निवास करे । अर्थात वह नर्क में बिलकुल या कभी न जाय । नर्क कोई नही चाहता है क्यों ? क्योंकि हम जबसे थोड़े से समझदार हुये हैं । तबसे यही सुनते आए हैं कि स्वर्ग में बहुत आनंद ही आनंद है । और नर्क में घोर कष्ट ही कष्ट मिलते  हैं । और यह स्वर्ग और नर्क मरने के बाद ही मिलता है ।
विडम्बना यह है कि मरना कोई नहीं चाहता है । लेकिन स्वर्ग के आनंद सब लेना चाहते हैं । जब स्वर्ग  के  आनंद का अनुभव नहीं कर पाते हैं । तो हम लोग कल्पना लोक में चले जाते हैं । और ऐसी ऐसी कल्पनाएं करने लगते है । जो वास्तविकताओं से बहुत दूर हों ? बड़ा आश्चर्य भी होता है कि जो वातें/क्रिया कलाप समाज में रहते हुए करना बुरा/पाप माना जाता हैं । वे सब बातें/क्रिया कलाप स्वर्ग में मिलने की बातें कही जाती रही है । जैसे कि - सुरा और सुंदरी ।
मोक्ष moksh Salvation Deliverance मोक्ष पर वार्ता करने से पहले यह विचार करना चाहिए कि - मोक्ष क्या है ? धर्मग्रंथों में बताया गया है कि संसार में जितने भी प्राणी है ( जिनमें प्राण हैं । चेतना है । जीवन है ) वे सभी (

मनुष्य । जानवर । पक्षी । कीट । पतंगे । जीवाणु आदि ) जीवन धारण करते हैं । अर्थात जन्म लेते हैं । और जीवन छोड़ते है । अर्थात मर जाते है । सभी धर्म ग्रंथों में यह भी बताया गया है कि - सभी प्राणियों में आत्मा होती है । जो न कभी जलती है । न कभी मरती है । और न नष्ट होती है । यह 1 शरीर की मृत्यु होने पर शरीर को छोड़ जाती/निकल जाती है । और मरे हुए लोग किये गए कर्मों के फल के अनुसार अच्छी बुरी योनि अर्थात मानव । जानवर । पक्षी । कीट । पतंगे । जीवाणु । जो जन्म लेते हैं । उनके शरीर में प्रवेश कर जाती है । मनुष्य योनि सबसे अच्छी होती है । क्योंकि इसका स्तर उच्चतम है ? क्योंकि केवल मानव में ही बुद्धि होती है ? ज्ञान प्राप्त करने और ज्ञान देने की ? इसमें क्षमता होती है । अन्य प्राणियों में नहीं ? और चूँकि मनुष्य के अलावा अन्य योनियों में चूँकि बुद्धि का स्तर बहुत कम होता है ? इसलिए अन्य योनियों को अपने स्तर को सुधारने /विकसित करने के अवसर बहुत कम होते हैं । संभावना बहुत कम होती हैं । अपने जीवन को सुधारने हेतु । ये स्वयं कुछ नहीं कर सकते हैं । अतः बे सब हमेशा भय । कष्ट । पीड़ा का सामना करते हैं । इसलिए मनुष्य योनि के अलावा सभी योनियाँ कष्टकारी हैं । 1 नाली का कीड़ा गंदगी में रहने के लिए बाध्य होता है । वह अपनी बुद्धि से किसी साफ़ सुथरे स्थान पर नहीं जा सकता । 1 कुत्ता है । उसकी अगर् टांग टूट जाय । तो वह 

अपनी बुद्धि से अस्पताल नहीं जा सकता है । कष्ट सहता रहेगा ? चूँकि मानव ने अन्य योनियों के प्राणियों के कष्ट देखे हैं । तो वह चाहने लगा कि मरने के बाद कष्ट भोगी प्राणी न बनूँ । नहीं तो घोर कष्ट पाऊँगा । और उसने कल्पना कर ली । छुटकारा पाने की । काल्पनिक उपायों की । जिसका नाम दिया - मोक्ष । इस प्रकार मोक्ष असल में । मरने के बाद अन्य योनियों में जन्म लेने । और मरने के चक्र से बचना है । यह सब भय से उत्पन्न कल्पना है ? इस जीवन के बाद किसी अन्य जीवन में जाने की बात । तथा जीवन मरण  की प्रक्रिया से बचने के उपाय । ये दोनों ही बातें काल्पनिक हैं । न तो ईश्वर उस रूप में है ? जिस रूप में उसकी कल्पना करके उसके रूप दिए गए हैं ? इसी तरह आत्मा भी नहीं होती है ? सच पूछा जाय । तो GOD की कल्पना ने ही आत्मा को जन्म दिया

? और आत्मा की कल्पना ने मृत्यु के बाद जीवन को जन्म दिया । और मृत्यु के बाद जीवन ने मोक्ष की कल्पना को जन्म दिया । अर्थात मोक्ष प्राप्त कर सकता है । इसलिए आदि गुरु शंकराचार्य ने कहा है - प्रत्येक मनुष्य ( स्त्री या पुरुष ) बहुत ही भाग्यशाली हैं । क्योंकि मनुष्य योनि प्राप्त हुई है । क्योंकि मनुष्य का जीवन ही 1 ऐसी गाडी है । माध्यम है । जिसके द्वारा मनुष्य जीवन के आवागमन 84 00 000  योनियों में आने और छोड़ने और फिर आने और छोड़ने के बंधन । कष्ट से मुक्त हो सकता है । अर्थात मोक्ष प्राप्त कर सकता है । इसलिए मानव जीवन को यूँ ही धर्म विरोधी कार्यों को करते हुए जीकर बर्बाद नहीं करना चाहिए । सबसे ज्यादा भाग्यशाली वह मानव है । जिसको मोक्ष पाने की तीवृ इच्छा होती है ।
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इस लेख के लेखक भारत सरकार के उच्च पद से रिटायर्ड ( 64 ) हैं । मैंने ये लेख सत्यकीखोज के पाठकों के चिंतन मनन व प्रश्नों के हेतु साझा किया है । आप चाहें । तो टिप्पणी द्वारा इस लेख में उठे प्रश्नों के उत्तर भी दे सकते हैं । या फ़िर ( मूल ) प्रश्न निकाल कर मुझसे उत्तर पूछ भी सकते हैं । इन सभी के सरल सहज प्रयोगात्मक स्तर पर उत्तर मेरे पास हैं ।

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