20 मई 2012

तभी आवाज आई - यही काल पुरुष है ??

जय जय श्री गुरुदेव । प्रणाम राजीव भईया ! मेरे मन में स्वपन से जुड़े कुछ प्रश्न हैं । मुझे वैसे तो बहुत ही कम स्वपन आते हैं । पर जब आते हैं । तब बड़े ही अजीब स्वपन होते हैं । पर मैं इन पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं देता । क्योंकि अधिकतर स्वपन ऐसे होते थे । जैसे कोई एक अजीब सी घटना बार बार दोहराई जा रही हो । जिसका मेरे आस पास से कोई लेना देना नहीं है । या कभी कभी स्वपन में उड़ना । फिर जैसे ही निर्धारित स्थान पर पहुँचने वाला रहता । वैसे ही ये लगता कि - अरे मैं कैसे उड़ रहा हूँ ? और नीचे आने लगता । पर फिर अचानक से लगता । अरे नहीं । अभी तक तो मैं उड़ रहा था । फिर अब कैसे नीचे आ रहा हूँ । और फिर से उड़ने लगता । ये सब बड़ा ही मूर्खता पूर्ण लगता था । इसलिए मैं इन सब पर
ध्यान नहीं देता था । पर कुछ समय से कभी कभी ऐसे सपने आ रहे थे । जैसे अगर किसी स्वपन में कोई कार्य हो रहा हो । तो उसके अगले दिन स्वपन में उसके आगे का कार्य होता रहता । जैसे किसी चलचित्र को किसी ने थोड़े समय के लिए रोक कर फिर आगे बढ़ा दिया हो । कभी कभी ऐसे स्वपन दिखे । जिन्हें मैं अपने अनुसार नियंत्रित कर सकता था । कभी कभी स्वपन में ही सोते समय स्वपन दिखे इत्यादि । पर इन्हें भी मैं नकारता रहा । यह सोच कर कि - सब कल्पनाये हैं । अस्थिर मन की । ये सब स्वपन मुझे कभी याद नहीं रहते । क्योंकि मैं इन पर ज्यादा ध्यान नहीं देता । पर अगर थोड़ा सोचता कि - क्या स्वपन था ? तो याद आ जाते हैं । या फिर अगर उनसे मिलती जुलती कोई घटना घटे । या कुछ लेख पढ़ने को मिले । तब याद आते हैं । पर आज मैं आपका
ब्लॉग रोज की तरह ही पढ़ रहा था कि - तभी मुझे कल रात का स्वपन याद आया । मैंने आपको पिछले मेल में बताया था कि - मैं जब ध्यान करता था । तब किसी जगह आँखों के मध्य में अंदर जाने का आभास होता था । और मैं भयभीत हो जाता था । ठीक वैसा ही आज स्वपन में हुआ । पर इस बार मैं अंदर जाता गया । और एक काला बिंदु मुझे दिखाई दिया । मैं जैसे ही उसके एकदम नजदीक पहुंचा । वैसे ही पीछे से या कही से आवाज आई - यही काल पुरुष है ?? और मैं बहुत ही ज्यादा भयभीत हो गया । और मेरी नींद खुल गयी । फिर मैंने सोचा - लगता है । मैं इस बारे में कुछ ज्यादा ही कल्पना कर रहा हूँ । और पुनः सो गया । मैं इस बारे में आपको बताते हुए मन ही मन अपने आप पर बहुत हँस रहा हूँ  कि - मेरा नाम लगता है । स्वपनिल ठीक ही रखा गया है । राजीव भईया ! ये बताईये । क्या ये व्यर्थ के स्वपन कुछ मतलब के 
हैं ?
असल में मुझे गुरूजी से दीक्षा लेनी हैं । और इस विषय को लेकर मैं बहुत चिंतित हूँ । मुझे पता नहीं है कि मुझे घर से अनुमति मिलेगी । या नहीं ? क्योंकि मैंने बहुत समय पहले अपने माता पिता से पुछा था । तो उन्होंने मुझे कहा था कि - किसी व्यर्थ के बाबा के चक्कर में न फँसना । राजीव भईया ! कृपया मुझे इस विषय में मार्गदर्शन दीजिये ।
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कुलदीप प्रकरण पर सभी की शंकाओं जिज्ञासाओं के त्वरित समाधान हेतु मुझे लेख आदि में 2-3 दिन का समय लग सकता है ।  उसके बाद आपकी जिज्ञासा का समाधान इसी पेज पर नीचे जोङा जायेगा ।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

rajeev bhai jee namaskar,
aapse puchha gaya prasn ("तभी आवाज आई - यही काल पुरुष है ??" heading se )hu-bahu yahi sapna mere sath bhi hota hai last ke 5 lines ko chhor kar jisme aavaj aati hai 'yahi kal purus hai'.... kripya jald hi samadhan kijiye aapki lekh ki pratiksha hai