02 अगस्त 2011

सपनों की हकीकत क्या है - सुखदीप कौर

सत श्री अकाल  बाबियो ! की हाल चाल ने जी । सत श्री अकाल जी ! मुझे बहुत दिन हो गये थे । आपको ई-मेल किये हुये । मेरे पति रिटायर होने वाले हैं । इसलिये अब सरकारी मकान छोडना पडेगा । इसलिये मैं जरा हमारे अपने मकान ( जो जालंधर में है ) उसकी मरम्मत आदि करवाने में व्यस्त थे ।
मैंने पिछ्ले महीने आपके लिखे हुये पतों पर से अमृतसर से ही अनुराग सागर ले ली थी । वहाँ अनुराग सागर 2 भाषाओं में थी । हिन्दी और पंजाबी । हिन्दी वाली 100 रुपये की थी । पंजाबी वाली सिर्फ़ 50 रुपये की थी । लेकिन उसमें वाणी व्याख्या सहित नहीं थी । इसलिये बाकी लोग भी हिन्दी वाली ही खरीदें । मैने अपनी भाँजी रूप को भी 5 कापियाँ डाक द्वारा भेज दी हैं । वो अलग अलग जगह दे देगी ( नवरूप आदि को )
मैंने आपसे आज ये पूछ्ना था कि - सपनों की हकीकत क्या है ? इनका क्या तालमेल है ? क्या हिसाब किताब है ? भूत, वर्तमान और भविष्य से सपनों का क्या लेना देना है ?
क्युँ कि कभी कभी सपनो में हम ऐसी जगह पर होते हैं । जहाँ के बारे में हमने इस जन्म में न कभी सुना होता है । और न ही कभी कहीं पढा होता है । लेकिन उस समय ( सपने में ) बिलकुल उस जगह पर अपने होने को साक्षात महसूस करते हैं । कई बार खुशी और तनाव भी असली जिन्दगी जितना ही महसूस करते हैं । 


जागने पर हैरानी होती है । बिलकुल वैसी ही फ़ीलिंग महसूस होती है । जैसा हम आम जीवन में भी कहीं नयी जगह पर घूमकर आने पर करते हैं । ऐसा क्यूँ होता है ? जरा इस राज पर से पर्दा उठा दीजिये ।
कई बार ऐसी मौत भी सुनने को मिलती है कि फ़लाँ आदमी अच्छा भला था । शाम तक । रात को खाना खाया । और सो गया । लेकिन सुबह तक उसकी मौत हो चुकी थी । क्या ऐसी चुपचाप मौत सपने में भी हो जाती होगी ?
ये भी बता दीजिये कि सचखण्ड यानी सतलोक में भूत, वर्तमान और भविष्य जैसी कोई बात है । या नही ? मेरी जो सहेली है । बाबकट बाल वाली । जिसने मेरे जरिये ही आपसे 1 बार कुछ सवाल पूछे थे । वो " ऋषि प्रसाद " नाम की धार्मिक पत्रिका पढती है । ये पत्रिका " सन्त आसाराम बापू जी " के आश्रम से चलती है । इसमें 1 घटना के बारे में लिखा हुआ था । आश्रम की महिलायें ( वहाँ काम करने वाली ) सब्जी उगाते वक्त सिर्फ़ ॐ मन्त्र का जाप कर रही थी । कुछ समय ( दिन ) बाद जब सब्जी को तोडने का समय आया । तो जब बैंगन तोडकर उन्हें काटा गया । तो उनके अन्दर भी ॐ की आकृति बिलकुल साफ़ बनी हुई थी । जिसकी उस पत्रिका में तसवीर भी थी । क्या ऐसा सम्भव है ?
राजीव जी ! ये DNA क्या होता है ? आप ठीक से समझाईये । आपसे बात पूछकर मजा आता है । और विश्वास भी । शायद अमेरिका की बात है कि किसी लडकी के आपरेशन के समय उसके DNA में जीसस की आकृति बनी हुई मिली । ये बात आप ही ठीक से समझाइये । ये जो राधा स्वामियों वाला 5 शब्दों वाला नाम है । क्या इसकी पहुँच अनामी लोक तक है । या सिर्फ़ सतलोक तक ही इसकी पहुँच है । बाकी अन्त में इतना ही कहूँगी कि - कदे साडे वल वी आओ अमृतसर । तुहानु अम्बरसर दी चाय पिलौने आ ।
****************
1 - सपनों की हकीकत क्या है ? इनका क्या तालमेल है ? क्या हिसाब किताब है ? भूत वर्तमान और भविष्य से सपनों का क्या लेना देना है ?
- ये समस्त संसार हमारी विभिन्न अवस्थायें जागना सोना और स्वपन तथा जिन्दगी के सभी क्रियाकलाप वास्तव में आत्मा के वासना रूपी स्वपन ही है । नींद में देखा गया स्वपन सूक्ष्म शरीर और सू्क्ष्म जगत से सम्वन्धित होता है । जागृति अवस्था एक साकार और स्थूल स्वपन है ।
इस सम्बन्ध में ब्लाग पर एक बङा लेख मौजूद है । तथा एक अन्य लेख भी आगे प्रकाशित होगा । बाकी एक महत्वपूर्ण बात अभी - भूत या भविष्य की जो सच होती घटनायें कभी कभी देखने में आयी हैं । वह कुछ जागृत या सचेत व्यक्तियों का " कारण " शरीर में कई कारणों से पहुँच जाना होता है । और ये स्वपन जैसा लगता

है । पर स्वपन नहीं होता । पर आमतौर पर इंसान इस स्थिति को जानता नहीं । अतः स्वपन समझ लेता है ।
2 - कई बार ऐसी मौत भी सुनने को मिलती है कि फ़लाँ आदमी अच्छा भला था । शाम तक । रात को खाना खाया । और सो गया । लेकिन सुबह तक उसकी मौत हो चुकी थी । क्या ऐसी चुपचाप मौत सपने में भी हो जाती होगी ?
- सपने या नींद में कभी मौत नहीं हो सकती । वो दूसरी बात है कि रात के अकेले में सोया इंसान या साथ में भी सोया इंसान मौत के कारिदों के आने पर इतना भयभीत हो जाता है कि किसी को बुला नहीं पाता । कभी कभी ऐसी हालत में उसकी आवाज भी बन्द हो जाती है । अतः लोगों को लगता है कि वो अचानक मर गया । वास्तव में मौत गा बजाकर आती है । और कितना भी कम समय लगे । 15 मिनट तो मरने में लग ही जाते हैं । वास्तविक मौत जिसमें देह से सम्बन्ध टूटता है । 30 मिनट तक में होती है । लेकिन नाङी ह्रदय स्वांस आदि बन्द हो जाने से ऐसा लगता है कि मौत हो गयी ।
कभी कभी  मरने में 2 - 3 दिन लग जाते हैं । ऐसा मैं इसलिये कह रहा हूँ कि मरने वाले के पास सूचना सी आ जाती है कि - अब उसका अन्त समय आ गया है । इसके साथ ही बहुत लोगों को यमदूत आदि छायायें दिखना शुरू हो जाती हैं । तब बहुत लोग इसको बताते भी हैं । और बहुत से नहीं बता पाते ।
आमतौर पर बोल बन्द हो जाना । मौत की कार्यवाही शुरू हो जाने की पहचान होती  है । मौत के पूर्व पहचान के कई लक्षण हैं । जो अक्सर 15 दिन पहले तक से दिखना शुरू हो जाते हैं ।

3 - ये भी बता दीजिये कि सचखण्ड यानी सतलोक में भूत, वर्तमान और भविष्य जैसी कोई बात है । या नही ?
- सचखण्ड शाश्वत सत्य " है " स्थिति वाला है । यानी इसका विनाश महाप्रलय आदि में भी नहीं होता । अतः इसमें भूत भविष्य दोनों नहीं हैं । क्योंकि आत्मा यहाँ पहुँचकर हँस रूपा या ग्यान रूपा या दिव्य प्रकाश रूपा हो जाती है । अमर और अविनाशी हो जाती है । इसलिये जब वो सदा उसी ग्यान रूप वाली हो जाती है । फ़िर उसका भूत भविष्य कैसे हो सकता है । भूत भविष्य कर्म से हैं । वर्तमान का मतलब जो वरता जा रहा है । उसको ही सत्य जानना । वैसे निवर्तमान इससे भी अधिक बङा सत्य है । क्योंकि आत्मा अपने सत्य और शाश्वत रूप में शांत और आनन्दमय है । बरताव एक प्रकार का खेल या विचार ही है ।

4 - आश्रम की महिलायें सब्जी उगाते वक्त ॐ मन्त्र का जाप कर रही थी । कुछ दिन बाद जब बैंगन तोडकर काटा गया । तो उनके अन्दर भी ॐ की आकृति बिलकुल साफ़ बनी हुई थी । क्या ऐसा सम्भव है ?
- ये घटना जानबूझ कर बनायी गयी हो । या अन्य कोई बात । एकदम फ़र्जी है । हाँ अगर पचासों बेंगन पर ॐ बना होता । तब बात में कुछ दम भी थी । क्योंकि ॐ का जाप तो सब पौधों के लिये हुआ था । यदि आप सब्जी मन्डी से लाये बेंगन टमाटर आदि सब कुछ ध्यान से देखते हुये काटो । तो हर तीसरे दिन ॐ राम अल्लाह गाड आदि हर धर्म की आकृतियाँ दिखायी देंगी ।
5 - ये DNA क्या होता है ? शायद अमेरिका की बात है कि किसी लडकी के आपरेशन के समय उसके DNA में जीसस की आकृति बनी हुई मिली । ये बात आप ही ठीक से समझाइये ।

- इसमें भी वही बात है । ऐसी मिलती जुलती आकृतियाँ बन जाना कोई बङी बात नहीं है । दरअसल ये सब सोची समझी योजना के तहत होता है । मैं बचपन से रात दिन आदि में खुले आकाश को अक्सर देखता था । और वहाँ तरह तरह की आकृतियाँ दिखायी देना आम बात है । कमरे की दीवालों पर चटकाव और पेंट के बदरंग हो जाने से स्वतः ही अनोखी आकृतियाँ बन जाती हैं ।
- DNA जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डी ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल या DNA कहते हैं । इसमें अनुवांशिक कूट या जैनेटिक कोड निबद्ध रहता है । जीव जंतुओं  मनुष्यों में विशेष संरचनायुक्त वह रसायन । जो उसे विशिष्ट पहचान देता है । DNA ( डाई राइबो न्यूक्लिक एसिड ) कहते हैं ।
इस पद्धति में किसी भी व्यक्ति के जैविक अंशो जैसे - रक्त । बाल । लार । वीर्य या दूसरे कोशिका स्नोत के द्वारा उसके DNA की पहचान की जाती है । DNA फिंगरप्रिंट विशिष्ट DNA कृम का प्रयोग करता है । जिसे माइक्रोसेटेलाइट कहते हैं । माइक्रोसेटेलाइट DNA के छोटे टुकड़े होते हैं । शरीर के कुछ हिस्सों में इनकी संख्या अलग अलग होती है । DNA अणु की संरचना घुमावदार सीढ़ी की तरह होती है ।
DNA फिंगरप्रिंट तकनीक का उपयोग क्रिमनल मामलों को सुलझाने के लिए किया जाता है । इसके अलावा असली माता पिता या व्यक्ति की पहचान के लिए भी DNA का प्रयोग होता है । इस समय पहचान के तरीकों में अंगुल छापन यानी फिंगरप्रिंट सबसे बेहतर मानी जाती है ।

6 - ये जो राधा स्वामियों वाला 5 शब्दों वाला नाम है । क्या इसकी पहुँच अनामी लोक तक है । या सिर्फ़ सतलोक तक ही इसकी पहुँच है ।
- वैसे असली सन्तमत अलग है । उसका तरीका अलग है । दरअसल ये सब गुरु पर निर्भर है कि उसका कौन सा तरीका है । जैसे हमारा विहंगम मार्ग और भृंग गुरु वाला भजन ध्यान है । ये सबसे ऊपर सरल सहज और शीघ्र प्राप्ति कराने वाला आसान है । इससे बङा और अच्छा मार्ग दूसरा है ही नहीं । यह सिर्फ़ समर्पण और पूर्ण विश्वास मांगता है ।
मैंने कई बार बताया है । हमारे विहंगम मार्ग और भृंग गुरु  ग्यान से आत्मा के आवरण उसी तरह उतर जाते हैं । जैसे घना कोहरा सूर्य के निकलते ही तेजी से नष्ट होने लगता है । हम सीधे सीधे आत्मस्वरूप का ध्यान कराते हैं । और आत्मा से बङा कोई नहीं है ।
बाकी पंचनामा का कठिन मार्ग है । इसमें सावधानी पहचान आदि काफ़ी रखनी होती है । जहाँ तक मुझे ग्यात है । ये वास्तविक सत्यनाम से कई स्थान पीछे छोङ देता है ।
दूसरे ये बात भी है कि इस पंचनामा ग्यान के किसी असली आंतरिक पहुँच वाले साधु सन्त से मेरा आज तक भेंटा भी नहीं हुआ । जो मुझे उसके साथ बातचीत से कोई अनुभव रहस्य पता चलता । आम पब्लिक को अक्सर सभी रहस्य नहीं बताये जाते । क्योंकि ये इतना विस्त्रत मामला है कि सहज में इसको समझाना संभव ही नहीं है । फ़िर असली बात अलग ही तरह से होती है ।
- इसी लेख में सीङीनुमा चित्र  DNA का है ।

कोई टिप्पणी नहीं: