09 अप्रैल 2011

कहते हैं कि संसार में आदमी का माँस सबसे स्वादिष्ट है ?

नमस्ते राजीव जी । मैं रजत सिन्धी ( राजपुरा से । सुभाष का दोस्त ) आपको सिर्फ़ 1 बार पहले E MAIL किया था । और आपने उसका साथ के साथ उत्तर भेज दिया था । अब जिग्यासा वश 1 छोटे से प्रशन का उत्तर भी दे दीजिए । मैंने आपके BLOG में पढा था कि जबसे ये सृष्टि बनी है । तबसे लेकर अब तक हर जीवात्मा कम से कम करोडों जनम केवल मनुष्य रुप में ही ले चुकी है । मैं ये जानना चाहता हूँ कि अगर हम करोडों जन्म केवल मनुष्य रुप में ही ले चुके हैं । तो क्या ऐसा भी हो सकता है कि पिछ्ले किसी पुराने जनम में हम मनुष्य रुप में किसी और सृष्टि में हों ( क्योंकि आपके अनुसार हमारी धरती जैसी अनगिनत धरतीयाँ हैं । अनेक बृह्माण्ड हैं । या अनेक सृष्टियाँ हैं ) और क्या ये भी सम्भव है कि किसी अगले मनुष्य जनम में हम इस धरती कि बजाय किसी और बृह्माण्ड या सृष्टि में भी हो सकते हैं । आप बताईए कि क्या ये सच है ? और सम्भव है ? 1 बात और पुछ्नी थी कि हमारे पुरातन इतिहास आदि में राक्षस । असुर और मनुष्य का माँस खाने वाले लोगों का वर्णन भी आता है । आप बताईए कि ये राक्षस । असुर या मानव जाति का माँस खाने वाले लोग कौन होते हैं ? ( या थे )  इस बात पर 1 बात और याद आ गयी कि ( आप इसको सहजता से लें ) आपने भी सुना होगा कि कहते है कि शेर जब आदमखोर हो जाये । तो जानवर के माँस को पसन्द नही करता । कहते हैं कि संसार में आदमी का माँस सबसे स्वादिष्ट है ?
क्या ये सच है ? और ये जो अघोरी लोग होते हैं । ये भी सुना है कि ये लोग मुर्दे का माँस खा लेते है ? क्या ये भी सच है ? लेकिन अलग अलग सभ्यताओं में भी आदमखोर लोगों का वर्णन आता है ( पश्चिमी सभ्यताओं में भी चाहे वो आदिवासिओं के रूप में हो । या किसी एकाकी मनुष्य रुपी दरिन्दे के रुप में हो ) आपसे बिनती है । आप जब भी वापिस आये । तो मेरे इन सवालों का उचित रुप में उत्तर अपने ब्लोग में जरुर दें । रजत सिन्धी । राजपुरा से ( साथ में शालु और निशु भी ) ई मेल से ।

Q 1 मैंने आपके BLOG में पढा था कि जबसे ये सृष्टि बनी है । तबसे लेकर अब तक हर जीवात्मा कम से कम करोडों जनम केवल मनुष्य रुप में ही ले चुकी है । मैं ये जानना चाहता हूँ कि अगर हम करोडों जन्म केवल मनुष्य रुप में ही ले चुके हैं । तो क्या ऐसा भी हो सकता है कि पिछ्ले किसी पुराने जनम में हम मनुष्य रुप में किसी और सृष्टि में हों ( क्योंकि आपके अनुसार हमारी धरती जैसी अनगिनत धरतीयाँ हैं । अनेक बृह्माण्ड हैं । या अनेक सृष्टियाँ हैं ) और क्या ये भी सम्भव है कि किसी अगले मनुष्य जनम में हम इस धरती कि बजाय किसी और बृह्माण्ड या सृष्टि में भी हो सकते हैं । आप बताईए कि क्या ये सच है ? और सम्भव है ?

ANS - बिल्कुल साहब । ये आपके ( मतलब हमारे सबके ) पिताजी ( परमात्मा ) का तो पूरा राज्य है ही । कहीं भी जाओ । घूमो । फ़िरो । नो टेंशन । बहुत लोग अक्सर ये पूछते हैं कि ये इतनी आत्मायें ( जनसंख्याँ बङने पर ) आखिर कहाँ से आती हैं । तो ये शिफ़्टिंग दरअसल आपके प्रश्नानुसार भी होती है । कुछ समय बाद जो प्रलय होगी । तो ये आत्मायें आखिर जायेंगी कहाँ ? इन्हीं जगहों पर रिफ़्यूजी केम्प की तरह शिफ़्ट हो जायेंगी ।

Q 2 - 1 बात और पुछ्नी थी कि हमारे पुरातन इतिहास आदि में राक्षस । असुर और मनुष्य का माँस खाने वाले लोगों का वर्णन भी आता है । आप बताईए कि ये राक्षस । असुर या मानव जाति का माँस खाने वाले लोग कौन होते हैं ? ( या थे )

ANS - इतिहास की बात छोङो भाई । क्या आपको पता है । चीन जैसे कुछ देशों के लोग अभी भी इस भृम के शिकार है कि मनुष्य के माँस में कुछ स्पेशल है । इसलिये अवार्शन आदि से उत्पन्न शिशुओं का अचार डालकर खाते हैं । एक पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ गरीब औरतें बच्चा पैदा करके महँगे दामों में सिर्फ़ इसीलिये बेचती हैं । चीन जापान अफ़्रीका आदि जैसे देशों के लोग क्या क्या नहीं खा जाते ? बल्कि ये पूछो । क्या छोङ देते है ? चूहा । बन्दर । कुत्ता । साँप । बिच्छू । सुंडी टायप कीङे । काकरोच जैसे पतंगे आदि भी खा जाते हैं । आपातकाल में फ़ँसे फ़ौजियों पर्वतारोहियों द्वारा अपने ही साथी या किसी अन्य मनुष्य को खा लेने की बात कई बार सामने आयी है । विदेशों में कुछ क्रूर टायप के हिंसक लोगों द्वारा अपनी पत्नी या पति या बच्चे को भी मारकर पकाकर खा लेने के इक्का दुक्का मामले सामने आते रहे हैं । इसलिये मेरा तो यही मानना है कि आज जब विकसित सभ्यता के लोग इस तरह की हरकतें करते हैं । तो राक्षस उनकी तुलना में फ़िर भी सभ्य थे । क्योंकि उन्हें कम से कम राक्षस का खिताब तो प्राप्त था ।

Q 3 इस बात पर 1 बात और याद आ गयी कि ( आप इसको सहजता से लें ) आपने भी सुना होगा कि कहते है कि शेर जब आदमखोर हो जाये । तो जानवर के माँस को पसन्द नही करता । कहते हैं कि संसार में आदमी का माँस सबसे स्वादिष्ट है ? क्या ये सच है ?

ANS - हाँ ये बात कुछ ठीक है । दरअसल पहले तो शेर हो या अन्य कोई भी जानवर ये इंसान से भयभीत रहता है । लेकिन छेङछाङ आदि करने पर जब घायल होकर आदमी को खा लेता है । तो आदमखोर बन जाता है । इसके पीछे एक बहुत बङा कारण होता है । आदमी द्वारा विभिन्न स्वादिष्ट वस्तुओं का खाया जाना । जिनमें चीनी और नमक जैसी चीजें प्रमुख होती हैं । जो कि दूसरे जंगली जानबर नहीं खाते । अतः शेर या किसी अन्य हिंसक जानवर को यह नया और स्पेशल टेस्टी स्वाद लगता है । इसी बात के चलते कुत्ता । गाय । सुअर जैसे जानवर आदमी का मल बेहद रुचि से खाते हैं ।
आपने अक्सर बन्दरों को एक जुँआ बीनने जैसी क्रिया करते हुये देखा होगा । और हम लोग कहते भी हैं कि बन्दर दूसरे बन्दर के जुँए बीनकर निकाल रहा है । वास्तव में पसीने और मैल की पपङी जो नमकीन हो जाती है । उसको निकालकर बन्दर खाता है । इससे बहुत कुछ उनके शरीर में नमक की पूर्ति होती है । बहुत से जानवर इसी तरह की चट्टानों को चाटकर अपने शरीर में खनिज की अतिरिक्त आपूर्ति की आवश्यकता को पूरा करते हैं । बाकी जो ये कहता है कि - संसार में आदमी का माँस सबसे स्वादिष्ट है ? यह उसकी मानसिकता और अभिरुचि ही हो सकती है । क्योंकि उल्टे लटके हुये चमगादङ भी कुछ ऐसा ही सोचते है कि - ये दुनियाँ वाले हमेशा उल्टा ही क्यों रहते हैं ? वैसे ( इन मामलों में ) शास्त्र के अनुसार मनुष्य शरीर सबसे निकृष्ट बताया गया है । क्योंकि उसकी खाल । हड्डी । अन्य अंग पशुओं के समान मरणोपरान्त उपयोगी नहीं होते । अगर वाकई आदमी का मांस स्वादिष्ट बेहतरीन और गुणवत्ता वाला होता । तो तमाम हत्याओं के बाद लाश को ठिकाने लगाने की चिंता नहीं होती । इधर लोग मुर्दा दफ़नाते । उधर..? आदि आदि ।


Q 4 और ये जो अघोरी लोग होते हैं । ये भी सुना है कि ये लोग मुर्दे का माँस खा लेते है ? क्या ये भी सच है ? लेकिन अलग अलग सभ्यताओं में भी आदमखोर लोगों का वर्णन आता है ( पश्चिमी सभ्यताओं में भी चाहे वो आदिवासिओं के रूप में हो । या किसी एकाकी मनुष्य रुपी दरिन्दे के रुप में हो )

ANS - हाँ ये बात सच है । लेकिन ये आप जिस अघोरपँथ की बात कर रहे हैं । ये वास्तव में वाममार्गी निकृष्ट अघोरपँथ है । असली अघोरपँथ में " शब साधना " मुख्य होती है । यानी संसार से उदासीन होकर मृतक भाव से प्रभु भक्ति में जीना । इसी का दूसरा मुख्य सूत्र " शिव साधना " भी है । इसका मतलब है ।  संसार को शिवमय ( सब में परमात्मा ) जानते हुये आचरण करना ।
इसी का रूप बिगङकर..मुर्दे का माँस खाना । अपना या किसी दूसरे इंसान का मल खाना । शरीर से लिपटा लेना आदि घृणित बातें इसमें शामिल हो गयीं । मैंने अपने कुछ लेखों में कहा है कि इस तरह के अघोरी " अलख निरंजन " या शिव का नाम अवश्य लेते हैं । पर वास्तव में वे पिशाच जिन्नात आदि के उपासक होकर उसको सिद्ध करते हैं । क्योंकि ये सब आसानी से हो जाता है । बाकी ये दुनियाँ अजीबोगरीब उदाहरणों से भरी पङी है । रहिमन तेरे देश में भाँति भाँति के लोग । कैसे कैसे रूप बनायें कैसे कैसे जोग ??
धन्यवाद ! मित्रो । राम राम । सलाम वालेकुम । सत श्री अकाल । सान्ता मारिया । गाड इज ग्रेट ।

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