26 फ़रवरी 2011

लेगा मजा । तो मिलेगी सजा ।


अरे वाह राजीव भैया । अरे भैया मैं सोच रहा था कि अगर तुम मेरे क्वेश्चन के आंसर नहीं दोगे । तो और देगा कौन ? तीसरा कौन ? सुनो राजीव कुमार अग्निहोत्री । मेरे मन में कुछ और सवाल भी आये हैं । लेकिन वो सवाल ऐसे ही नहीं आये । उसके जिम्मेदार भी तुम हो । क्योंकि वो सवाल तुम्हारा ब्लाग पढकर आये हैं । इसलिये उनका जबाब देना तुम्हारा फ़र्ज है ।
Q 1 कलियुग में जो कल्कि अवतार आयेंगे । क्या ये भी कालपुरुष का अवतार होंगे ? या विष्णु भगवान के ? या किसी और के ?
ANS - कल्कि अवतार बहुत छोटा अवतार होगा । ये न विष्णु का होगा । न कालपुरुष का । कालपुरुष बहुत शक्तिशाली है । ये सिर्फ़ दो अवतार राम और कृष्ण के लेता है । विष्णु भी बहुत छोटे अवतार नहीं लेते । बल्कि ऐसे छोटे अवतारों को अंश द्वारा कुछ शक्तियाँ दी जाती हैं । कल्कि अवतार कलियुग में बढ रही मलेच्छ प्रवृति के नाश के लिये होगा । और उङीसा के शम्भल गाँव में होगा । लेकिन..? ये अवतार अब शायद ही होगा । इसका कारण है । यहाँ तीनों लोक की हालत बहुत खराब होना । जिस प्रकार किसी भी देश में केन्द्रीय सत्ता और राज्यसत्ता ये दो होती हैं । राज्य केन्द्र के अधीन होता है । राज्य के हालात ज्यादा बिगङ जाने पर केन्द्रसत्ता राज्य सरकार को डिसमिस कर नियन्त्रण अपने हाथ में ले लेती है । यही सिस्टम सृष्टि में भी चलता है । कल्कि अवतार समयानुसार त्रिलोकी की पंचवर्षीय योजनाओं की तरह था । और कलियुग के अंत में होना था । जब हालात बहुत बिगङ जाने थे । पर कलियुग अपने प्रारम्भ ( अभी कलियुग के 5000 कुछ वर्ष ही हुये हैं । ) में ही भन्ना उठा । इसलिये इस त्राहित्राहि की पुकार से केन्द्रसत्ता ने कलियुग को लगभग 17000 वर्ष पूर्व ही समाप्त करने का निर्णय लिया है । इसलिये अभी से टुकङों में चल रही प्रलय 2017 - 18 तक 70% आवादी को समाप्त कर देगी । इसके बाद सतयुग की रूपरेखा प्रारम्भ हो जायेगी । जो अगले 50 सालों में प्रलय से हुये विनाश का पुनर्निर्माण करके सतयुग को स्थापित कर देगा ।
Q 2 किसी और झूठे बाबा के आर्टीकल में पढा था कि धार्मिक कर्म करने वाले भी काल के दूत हैं । सिर्फ़ कबीरपंथी वाले काल के दूत नहीं हैं । ये काल के दूत कौन होते हैं ??
ANS - वैसे उस बाबा ने लगभग सही बात ही कही है । साधारण पूजा पाठ कालपूजा के अंतर्गत ही आता है । क्योंकि इसमें मोक्ष ( मुक्त ) नहीं होता । बल्कि बेहद कठिनाई से मुक्ति होती है । आजकल कबीरपंथ में भी कालदूतों की भरमार हो गयी है । वैसे असली सुरति शब्द साधना के लिये पन्थ के बजाय मत शब्द का प्रयोग होता है । कालदूत को साधारण भाषा में " आस्तीन का साँप " कह सकते हैं । मतलब तुम्हें सही बात बताने को बोलते हुये बातों के जाल से बहका रहा हो । और इसकी वजह है । कालपुरुष स्वभाव से क्रूर है । आत्माओं को प्रताङित करना । अविनाशी आत्मा को स्वर्ग नरक के खेल में फ़ँसाना आदि इसके और इसकी पत्नी के प्रमुख कार्य हैं । कालपुरुष ने ही यहाँ की सृष्टि बनाई है । और कई युगों तक तपस्या करके इन आत्माओं को प्राप्त किया है । जो कि उसे सतलोक से खुशी खुशी इस बात पर दी गयीं कि ये अविनाशी हँस आत्मा को सुख आनन्द से रखेगा । और आत्मा की इच्छा होने पर उसके मूल घर सतलोक आने जाने देगा । पर बाद में स्वभाववश कालपुरुष ने जीवात्मा को विषय भोग और माया ( उसकी पत्नी ) द्वारा फ़ँसा लिया । और अपनी सत्ता के अनुसार दन्ड देने लगा । जैसा कि विश्वासघाती करते हैं । पहले मीठी बातों से फ़ँसाते है । फ़िर मजा लेते हैं । जीवात्माओं की करुण पुकार जब सतलोक पहुँची । तो केन्द्रसत्ता ने अपनी आत्माओं के उद्धार के लिये कबीर साहब को प्रतिनिधि के रूप में भेजा । जिनका सामना पहले कालपुरुष के तीनों पुत्रों बृह्मा विष्णु महेश से हुआ । इसके बाद कालपुरुष से काफ़ी झगङा हुआ । तब कबीर साहब ने कहा कि जीव परमात्मा के उस ढाई अक्षर के नाम को सुमिरते ही मोक्ष की तरफ़ जाने लगेगा । और तुम कुछ नहीं कर पाओगे । इस पर कालपुरुष ने कहा कि मैं तुम्हारे उस नाम में ही ऐसा मायाजाल अपने (काल ) दूतों द्वारा फ़ैलाऊँगा कि जीवात्मा कभी सच्चाई नहीं जान पायेगा । और मेरे जाल में उलझकर रह जायेगा । इसका सबसे बङा प्रमाण था कि कालपुरुष ने कबीर के जीवनदान दिये हुये पुत्र कमाल के रूप में ही अपना दूत उनके पीछे लगा दिया । कमाल कबीर का बेहद विरोध करता था ।..इसकी अधिक विस्तार से जानकारी के लिये । कबीर धर्मदास संवाद पर आधारित..हिन्दी पुस्तक..अनुराग सागर पढें । यदि मिलने में कठिनाई हो । तो मेरे लेख अनुराग सागर की संक्षिप्त कहानी में मथुरा के प्रकाशक का नाम पता टेलीफ़ोन नम्बर देखें । और बाई पोस्ट मंगायें । आपकी आंखें खुल जायेंगी ।
Q 3 कल मैंने सुबह अर्ली मार्निंग टी के साथ टीवी लगा लिया । मैंने इंगलिश चैनल इसलिये लगाया था कि कोई गोरी मेमसाब देखने को मिल जायेगी । लेकिन वहाँ वैम्पायर की फ़िल्म आ रही थी । वैम्पायर ( पिशाच ) जो रात को निकलते हैं । और खून पीते हैं । नेक में अपने टीथ डाल के । वेस्ट लाइफ़ में इन पर बहुत नावल लिखे गये हैं । एन्ड फ़िल्म बनी हैं । जिनका बास अक्सर ड्रेकुला नाम का वैम्पायर होता है । क्या ये वैम्पायर भी होते हैं ? क्या ये इंडिया में तो नहीं होते ?

ANS - अंग्रेजों के वैम्पायर नकली होते हैं । जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं होता । उनकी वैम्पायर की धारणा भी भारतीय गृन्थों से ही ली गयी है । पिशाच कहलाने वाले ये प्रेत अत्यन्त शक्तिशाली होते हैं । प्रायः ये लोगों को परेशान नहीं करते । अघोर में निकृष्ट साधना करने वाले अघोरी और चमत्कार दिखाने वाले सिद्ध अधिकतर पिशाच को ही सिद्ध कर लेते हैं । पिशाच से पीङित व्यक्ति का खून तेजी से खत्म होता है । औरत से संभोग आदि में अधिक रुचि रखता है । इसी धारणा पर अंग्रेजी वैम्पायर का जन्म हुआ । इस सृष्टि में ऐसी कोई चीज नहीं है । जो हर जगह न पायी जाती हो । सिर्फ़ देशकाल आदि के आधार पर उसका नाम रूप नस्ल आदि अलग होते हैं ।
Q 4 सूर्यलोक क्या वास्तव में है ? क्या वहाँ भी दुनियाँ चलती है ? सूर्य वास्तव में तो बहुत गर्म हैं । लेकिन क्या अन्दर से ठन्डा है । किसी दुनियाँ की तरह ??
ANS - जी हाँ । करोङों सूर्य इस सृष्टि में हैं । और सबका लोक है । ये अखिल सृष्टि जल बेस पर है । और मायाबी है । इसलिये आपको सूर्य बेहद गर्म लगता है । पर सूक्ष्म के निवासियों की हकीकत अलग होती है । बिग्यान के अनुसार यदि आप जानकारी रखते हों । तो ज्वालामुखी के खौलते लावे में भी जीव रहते हैं । इसलिये ये सृष्टि बहुत विलक्षण हैं ।
Q 5 क्या वास्तव में मून पर भी सूक्ष्म जगत चल रहा है ?
ANS - जी हाँ । आप मेरे साथ एक दिन घूमने चलो । बातों से क्या फ़ायदा ?
Q 6 ये कोई न कोई बीमारी आदमी को लगी रहती है । एग्जाम्पल जैसे कोई एक बीमारी है । वो ठीक नहीं हो रही । उसकी लगातार मेडीसिन लेने से वो कंट्रोल में रहती है । लेकिन मेडीसिन छोङते ही बीमारी फ़िर से बङ जाती है । जैसे पाप का फ़ल दुख होता है । तो क्या ऐसे ही ये बीमारी का लगातार रहना । पाप का फ़ल भोगना है ? और जब उस पार्टीकुलर पाप का फ़ल पूरा भोग लिया गया । तो क्या वो पार्टीकुलर रोग भी खत्म हो जायेगा ?
ANS - आपकी बात एकदम सत्य है । अगर बीमारी का इलाज न भी करा के बस परहेज से रहो । तो भोग पूरा होते ही बीमारी ठीक हो जायेगी । बशर्ते वो लेने आयी वाली बीमारी न हो ।
Q 7 कई लोगों को लगातार कोई ना कोई मानसिक या शारीरिक रोग लगा ही रहता है । जैसे एक छोटी सी बीमारी ठीक हुयी । अभी कुछ दिन हुये नहीं कि दूसरी बीमारी आ गयी । इसी तरह कोई मानसिक परेशानी है । अभी उससे छुटकारा मिला नहीं कि एक और मुसीबत खङी हो गयी । क्या ये भी पाप का फ़ल ही है ??
ANS - जीवन में हमारे साथ जो भी हो रहा है । उसके जिम्मेदार हम खुद ही हैं । नाम भक्ति से रहित हो जाने के कारण जीवात्मा की यह दुर्दशा हुयी । ये हमारे पाप के फ़ल ही हैं ।
Q 8 क्या ये आत्मा उस पूर्ण परमात्मा की अंश है । जो मोस्ट पावरफ़ुल है । जिससे ऊपर कुछ नहीं है ?
ANS - जी हाँ ये एकदम सत्य है । आत्मा केवल चाहत के वशीभूत माया के झूठे बन्धन में आ गयी है ।
Q 9 अगर मेरी साली मेरे से आशिकी करना चाहे तो क्या वो पाप होगा ? नहीं तो बेचारी किसी पङोसी को उपलब्ध हो जायेगी । और हमारी बदनामी हो जायेगी ।
ANS -बुरा ना माने । प्रोफ़ेसर साहब । कोई आपके परिवारीजनों के सम्बन्ध में भी ऐसा ही सोचे । तब आपको कैसा लगेगा ? मेरा संकेत आप समझ गये होंगे । आपने माँ बहन बेटी आदि के करेक्टरलेस होने के बारे में लिखा था । साली भी किसी की माँ बहन बेटी होती ही है । आप भी किसी के बाप बेटे भाई आदि होंगे । अनैतिक सम्बन्ध हर हालत में पाप है । साली आधी घरवाली नहीं होती । साली क्या करती है ? ये उसकी सोच है । जो जैसा करेगा । वो वैसा भरेगा । लेगा मजा । तो मिलेगी सजा । काया से जो पातक होई । बिनु भुगते छूटे नहीं कोई ।
Q 10 और आपके ब्लाग में ये जो कालपुरुष का जिकर है । मैं उनसे बहुत डर गया हूँ । कहीं ये मुझे कुछ कहेंगे तो नहीं ??
ANS - कसाई जिस प्रकार बकरे को खिला पिलाकर मोटा देखकर खुश होता है । ठीक यही सम्बन्ध कालपुरुष और जीवात्मा के बीच होता है ।.. सार शब्द जब आवे हाथा । तब तब काल नवावे माथा ।.. जँह लगि मुख वाणी कहे । तँह लगि काल का ग्रास । वाणी परे जो शब्द है । सो सतगुरु के पास ।
ये मत समझना कि मैं तुम्हारा टेस्ट ले रहा हूँ । मुझे इन क्वेश्चन की खुजली थी । झन्डू बाम तुम्हारे पास है । लगाकर मेरी खुजली दूर करो । एक प्रोफ़ेसर का ई मेल । मध्यप्रदेश से ।
आपके शेष प्रश्नों के उत्तर शीघ्र देने की कोशिश रहेगी ।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

BABA JI, MERI AAP SE EK BENTI HAI KI MUJE SATNAAM WAHEGURU JI JAAP KESE KRNA CHAHIYE JIS SE MERI SURAT LAG JAAYE, SATNAAM SHRI WAHEGURU JI BOL KR, YA SATNAAM WAHEGURU, SATNAAM WAHEGURU BOL KR
EK BAAR MERA DHIYAN LAGNE LAGA THA, MUJE AISE LAGA THA JAISE 10VA DUAAR KHULNE KO HAI, YEH AVSTHA KUCH SECOND HI HUI, USKE BAAD AAJ KAI MAHINE GUJAR gye haim MENE BOHT KOSIS KI, DHIYAN HI NAHI LAGTA, JAISE MAN ME KUCH AAISE BHAAR SA TIK GYA, SIR PR KOI BHAAR SA TIK GYA HO, SATNAAM WAHEGURU DIL SE NAHI BOLA JATA, BABA JI MERA MAARGDARSAN KRO JI, ME AAP KA BOHT BOHT ABHAARI HUNGA, ME BS AB IN JANAM-JANMAANTRO KI BHATKNA SE MUKTI CHAHTA HU, BS WAHEGURU JI KI GOD ME BETNA CHAHTA HU JI
SATNAAM SHRI WAHEGURU JI SATNAAM SHRI WAHEGURU JI WAHEGURU DHAN WAHEGURU
from devinder singh Kurukshetra