23 फ़रवरी 2011

प्रारब्ध से सब कुछ होता है ? या पुरुषार्थ से ।


राजीव कुमार जी । प्रारब्ध से सब कुछ होता है ? या पुरुषार्थ से । कृपया बताये । ये छोटा सा लेकिन महत्वपूर्ण कमेंट किसी सज्जन ने किया था । प्रारब्ध यानी भाग्य और पुरुषार्थ यानी मेहनत आदि कर्म से सब हासिल करना ।..इसके उत्तर के लिये हमें पुरुषार्थ से पहले के बिंदुओं पर विचार करना होगा । पुरुषार्थ को मैंने पहले इसीलिये लिया है कि मेहनत से ही सब हासिल होता है । यह सर्वमान्य सिद्धांत है । तो आईये पुरुषार्थ से ही बात शुरू करते हैं । अब सवाल ये है कि पुरुषार्थ कौन करेगा ? और कैसे करेगा ? इसके दो उत्तर हैं । या तो शरीर से मेहनत करके धन कमायें । और व्यापार आदि में लगाकर उन्नति करे । या धन उसे विरासत में मिला हो । उससे आगे बल बुद्धि से विकास करे । या शरीर से मेहनत करता हुआ दैनिक । साप्ताहिक या मासिक आमदनी से खुद और अपना परिवार आदि पाले । मेरी नजर में तो पुरुषार्थ यही हुआ ।
यानी अर्जित धन । विरासत में मिला धन । या स्व स्वस्थ शरीर का उपयोग करना ।..अब यहीं पर विचार करें । विरासत में मिला धन । और स्वस्थ शरीर । ये हरेक किसी को नहीं मिलते । यदि ये एक समान नियम से सबको मिले होते । तो निसंदेह उत्तर यही था कि पुरुषार्थ से सब कुछ होता है । इसलिये सवाल तो यहीं पर खङा हो जाता है कि किसी को स्वस्थ और किसी को रोगी या कष्टदायी शरीर किस नियम से मिला है ? जाहिर है । पूर्वजन्मों के कर्मों से बने कर्मफ़ल रूपी भाग्य से । अभी आपने शरीर से पुरुषार्थ शुरू भी नहीं किया कि पिछला भाग्य यानी स्वस्थ शरीर आगे आगे चलने लगा । अभी आपने व्यापार शुरू भी नहीं किया कि विरासत में मिला भाग्य रूपी धन आगे है । चलिये कोई इंसान कमाकर शुरू करता है । लेकिन कमाने में सफ़लता भी भाग्य से ही मिलती है । करोङों लोग जी तोङ मेहनत करते है । पर पेट भर के निश्चिंताई की रोटी नहीं खा पाते । और कुछ लोग मामूली सी चहलकदमी जैसा काम करके मक्खन मलाई से खाते हैं । तो ये क्या है ? ये इंसान का अर्जित भाग्य ही तो है । कहाबत है । भाग्य फ़ले । तो सब फ़ले । भीख बनज व्यापार । भीख भी भाग्य से ही मिलती है । नहीं तो ..आगे देखो बाबा ।
अब इस पर बात करते हैं कि भाग्य आखिर क्या बला होती है ?
बङी सरल बात है । कोई भी आसानी से समझ ही लेगा । हमारे कर्म तीन प्रकार के हो जाते हैं ।
1 संचित कर्म 2 प्रारब्ध यानी कर्मफ़ल रूपी भाग्य 3 क्रियमाण ।
1 संचित कर्म - सीधी सी बात है । जो कर्म हम पूर्वजन्म या अतीत में कर चुके हैं । वे ही एकत्र होकर संचित कर्म कहलाते हैं । 3 क्रियमाण ..जो कर्म हमारे द्वारा वर्तमान में होते हैं । वे क्रियमाण कहलाते हैं । आगे की बात महत्वपूर्ण है । हमारा अच्छा या बुरा 2 प्रारब्ध यानी भाग्य पहले के संचित कर्मों से बनता है । जाहिर है कि प्रारब्ध तो पका हुआ कर्मफ़ल रूपी भाग्य ही है । और क्रियमाण तो हमने अभी किये भी नहीं । क्रियमाण करने के बाद उनका बीज भाग्य की जमीन पर बोया जायेगा । बीज समय पर अंकुरित होगा । पौधा बनेगा । वृक्ष बनेगा । तब कर्म अनुसार अच्छा या बुरा भाग्यफ़ल उसमें लगेगा । तब वो आपके जीवन में घटित होगा । इसलिये अभी के पुरुषार्थ से आगे का भाग्य बनता है । और पिछले पुरुषार्थ से अभी का भाग्य है ।
अब जबसे ये सृष्टि बनी है । हर जीव के करोङों से भी अधिक जन्मों के कर्म संचित हो चुके हैं । अतः इस क्षणभंगुर जीवन के लिये उसकी गति के अनुसार उन्हीं संचित कर्मों से थोङा सा अच्छा और बुरा भाग्य उसको दे दिया जाता है ।
अब यहीं पर बात बेहद महत्वपूर्ण हैं । इसको आप जीवन के उदाहरण से समझें । मान लीजिये । एक बाप के पाँच पुत्र अलग अलग अच्छे बुरे स्वभाव वाले हैं । अब बाप यानी भगवान पुत्र यानी जीव और बाप द्वारा दिया जाने वाला धन यानी भाग्य । जाहिर है । बाप देगा तो सभी को । पर स्वभाव अनुसार ही देगा । अच्छे को अधिक महत्व देगा । बुरे को कम महत्व देगा । उदासीन निष्क्रिय को भी कम महत्व देगा ।
लेकिन चलो । बाप ने भाग्य धन का बंटवारा कर दिया । अब आगे आपको इसे क्रियमाण करना है । इसी क्रियमाण या पुरुषार्थ से अच्छा और भी अच्छा बन सकता है । पतनशील होकर खुद का विनाश भी कर सकता है । साधारण बने रहकर भी जिंदगी काट सकता है । यह सब उसी पर निर्भर है । वहीं बुरे को भले ही अपने पहले के इतिहास की वजह से कम मिला है । पर वह अपने को सुधारकर अरबपति बन सकता है ।
तो संचित से मिले हुये प्रारब्ध के द्वारा ही क्रियमाण कर्म यानी पुरुषार्थ आदि द्वारा इंसान अपने आगे का अच्छा भला तय करता है । जैसा कि उसका अभी का जीवन अतीत की फ़सल पर चल रहा है । अभी बोई गयी फ़सल तो समय पूरा होने पर । पकने । कटने आदि के बाद ही लाभ देगी ।
इसलिये बन्धु ये तीनों प्रकार के कर्म अपना असर इंसान पर दिखाते हैं । संचित में सुधार या पापकर्मों को नष्ट करना । सच्ची भक्ति से होता है । साधारण जीवन में इसको नहीं कर सकते । साधारण जीवन में आप प्राप्त प्रारब्ध और स्वयँ के पुरुषार्थ से ही बदलाव कर सकते हैं । इसीलिये कहा गया है कि मेहनत ( पुरुषार्थ या क्रियमाण ) भाग्य ( पूर्वकर्मों का फ़ल ) और प्रभुकृपा ( संचित कर्म के बुरे असर से बचना या अच्छे से लाभ ) इन तीनों के संयोग से ही इंसान राजाओं की तरह जी सकता है । वरना कीङे मकोङों की सी जिंदगी तो इंसान बिना प्रयत्न के सदियों से जी ही रहा है ।

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

hee hee hee hee hee kya haal hai jahan tumne pichli baar mere questions ke answers diye the to is baar mera 1 hi question hai uska answer bhi dedo, lekin wo bhi kal tak(hee hee hee hee hee hee) laahnat hai mere par main ladies college mein professor hun. meri age 50 saal ke kareeb hai lekin mann 18 saal ka hai(hee hee hee hee hee)aree yaar asli professor to jindagi ke tum ho saboot ye hai ki main khud professor hote hue bhi tumse solution maangta hun.ab aate hain question par to mr. rajeev kumar agnihotri maine apka aaj ka article padha 'purusharth aur prarabdh" bahut accha tha. you are very good man. but mujhe 1 baat yaad ayi ki maine pata nahi kahan padha tha ki karm 3 kism ke hote hain. 1. jo mann se kiya gaya ho means kisi ke bare mein accha ya bura sochna wo karm kisi dusre ko nazar nahi ata usko sirf hum jaante hote hain ki hamari kisi ke bare mein kya neeyat hai (jaise meri neeyat mere college ki girls jinka main harami professor hun par aksar kharab hi rehti hai hee hee hee hee hee hee) aise karm ka kya result hoga (hoga bhi ya nahi hoga) agar hua to kya hoga and is janam mein uska fal milega ya next janam mein. example bhi lelo jaise main kisi ladki ko pasand karta hun lekin ab main to professor hun uske saath sambhog sambhav nahi hai lekin apni kalpana mein uske saath bahut kuch kar chuka hun aur karta rehta hun jo main yahan likh nahi sakta(hee hee hee hee hee hee) to ye hua mann se kiya hua karam main aise mann se kiye hua karam ke bare mein puch raha hun. dusri example bhi lelo jaise main kisi se sneh karta hun lekin wo mere ko bekar hi samjhata hai beshaq wo khul kar na bole lekin avoid karne ki koshish kare (aisa kyun hota hai) and kuch log aise hai jinse main kabhi milna bhi nahi chahta lekin fir bhi sale mujhe milne aate rehte hain pyaar dikhate hain (aisa kyun). and kalpna mein to hum bahut kuch karte hain(hee hee hee hee hee) jaise mujhe aisa pariwaar chahiye ya aisa saathi ya aisa dost culture etc lekin wo is janam mein hamare pass nahi hota lekin kalpana mein hum usko jee rahe hote hain to kya wo bhi karm hua(socha hua) and in future uska result kya hoga means aane wale janam mein.ab question number 2nd dusra karm maine suna hai bolne se hota hai jaise hum kisi ko jaan bhujh kar gaali den ya anjaane se kisi ka dil dukha dein to uska result kya hoga. lekin agar hum apne mann par control rakh kar un logon ko bhi bura na bolein aur naram behaviour rakhen jo log hamein bilkul pasand nahi to uska result kya hoga. aur agar koi humein galat baat bole ya aisi baat jo hamein pasand nahi fir bhi hum control kar jayein to uska result kya hoga. ab 3rd question (waise iska answer dene ki zaroorat nahi) kyun ki teesra karm hai physical body dwara kiya hua jiska answers apke blog par alag alag articles mein mil raha hai. bas tum pehle 2 questions ka clear answer dedo wo bhi kal tak(heee hee hee hee) aur ye bhi bata dena ki mann,vachan and sathul sareer dwara ye 3 kism ke karam hi hote hain ya koi 4 kism bhi hoti hai.aree raja kal tak is par badhiya sa article likh mere muh par maro kardo mera muh band. agar mera bhala karoge to agle janam mein tumko patakha aurat milegi shaadi ke liye (hee hee hee hee) nahi to us laloo abhishek ka talaaq karwa kar tumhari shaadi aishwarya se karwadein (lekin fir tum us bade laloo means amitabh bacchan ke kya lagoge bete ya damaad hee hee hee hee hee hee hee hee)

बेनामी ने कहा…

hee hee hee hee bura mat mannna last baat reh gayi thi. kya karam gati be-hadh suksham hoti hai kya isko poori tarah jannna itna asaan nahi jitna ki aksar log samjhate hain. kya hamare har karam (socha hua, bola gaya aur physical act) ka poora hisaab hota hai. 1 chotthe se sarson(sunflower) ke daane jitna bhi hisaab idhar udhar nahi hota. ye bhi bahut zaroori baat hai. iska bhi uske saath(jo thodi der pehle 2 questions puche hain) hi answer de dena 1 hi article mein wo bhi kal tak(hee hee hee hee hee hee)

मदन शर्मा ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी! आप से अनुरोध है

की समाज में फैले धर्म के नाम पे प्रचलित

अंधविश्वास को दूर करने में सहयोग दें

हार्दिक शुभकामनाएं!

Unknown ने कहा…

क्या शादी जिस लड़की से होनी होती है वह पहले से तय होता है