03 सितंबर 2010

कुछ गूढ रहस्य की बातें...? 1




पिछले दिनों अपने एक लेख में मैंने संतवाणी से प्राप्त दुर्लभ रहस्यों का जिक्र किया था । दरअसल एक दिन ऐसा माहौल बन गया कि श्री महाराज जी यकायक मौज में आकर रहस्य बताने लगे । जो शास्त्रों से एकदम भिन्न थे । लेकिन अभी तीन रहस्यों का ही खुलासा ही हुआ था कि कुछ लोग मिलने आ गये । और वो बात वहीं की वहीं रह गयी । वो तीन रहस्य ये थे । कि अभी इन्द्र की पदवी पर प्रहलाद है । कलियुग की आयु
28000 वर्ष होती है । और एक मन्वन्तर में 14 मनु होते हैं । वास्तव में ये तीन बातें भी किसी धार्मिक शोधार्थी के लिये बहुत बडा रहस्य खुलने जैसी थी । इसके बाद मेरी जिग्यासा बनी रही । तब अगली बार मौका मिलने पर मैंने बेहद विनम्रता से महाराज जी से इस बारे में और अधिक जानने का निवेदन किया ।
भगवान ने मेरी सुन ही ली । और महाराज जी ने उस दिन की अधूरी बात को पूरा किया । और बताया । कलियुग की आयु सिर्फ़ 28000 वर्ष होती है । द्वापर की आयु सिर्फ़ 32000 साल होती है । त्रेता की आयु सिर्फ़ 35000 साल की होती है । सतयुग की आयु 37000 साल होती है । इस प्रकार एक चतुर्युग 1 32000 साल का ही होता है । अभी कलियुग के 5000 और कुछ सैकडा वर्ष ही हुये हैं । किन्हीं अग्यात कारणों से कलियुग भन्ना उठा है । वरना कलियुग का इतना प्रभाव जो आज देखने को मिल रहा है । कम से कम अभी दस 12000 साल बाद होना चाहिये । ऐसा क्यों है ? ये पूछने पर महाराज जी मौन हो गये । और फ़िर बोले ये बताने वाले रहस्यों में नहीं आता । लेकिन 2014 से खन्डों में प्रथ्वी से ज्वालामुखी स्रोतों के फ़टने के समान इस विधि से जो टुकडों में स्थान स्थान पर प्रलय होगी । और इन ज्वालामुखी स्रोतों से हजारों प्रकार की जहरीली गैसे और धुंआ ही धुंआ चारों तरफ़ फ़ैल जायेगा । इस तरह ये खन्ड प्रलय 60 से 65 % आवादी को लील जायेगी । 2012 में प्रलय की वास्तविकता क्या है । आइये इसको जानें ।
" संवत 2000 के ऊपर ऐसा योग परे । के अति वर्षा के अति सूखा प्रजा बहुत मरे ।
। पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण । चहुँ दिस काल फ़िरे ।अकाल मृत्यु व्यापे जग माहीं । हाहाकार नित काल करे । अकाल मृत्यु से वही बचेगा । जो नित " हँस " का ध्यान धरे । ये हरि की लीला टारे नाहिं टरे ।
अब क्योंकि संवत 2000 चल ही रहा है । इसलिये प्रलय ( मगर आंशिक ) का काउंटडाउन शुरू हो चुकाहै । 2010 to 2020 के बाद जो लोग इस प्रथ्वी पर रहने के " अधिकारी " होंगे । वो प्रकृति और प्रथ्वी को एक नये श्रंगार में देखने वाले गिने चुने भाग्यशाली लोग होंगे । और ये घटना डेढ साल बाद यानी 2012 में एकदम नहीं होने जा रही । बल्कि इसका असली प्रभाव 2014 to 2015 में देखने को मिलेगा । इस प्रथ्वी पर रहने का " हक " किसका है । ये रिजल्ट सन 2020 में घोषित किया जायेगा । यानी आपने सलामत 2020 को happy new year किया । तो आप 65 % का विनाश करने वाली इस प्रलय से बचने वालों में से एक होंगे । यानी 2020 में यह प्रथ्वी एक नये रूप में होगी । जिसको देखने वाले बचे हुये 35 % गिने चुने लोग ही होंगे । इसके आगे श्री महाराज जी ने कुछ और रहस्य भी बताये । ऋषि का अर्थ खोजने वाले या शोध करने वाले यानी research करने वाले होते हैं । मुनि का अर्थ मनन करने वाले होते हैं ।
 तभी मेरे दिमाग में एक प्रश्न अचानक आया । मैंने कहा । महाराज जी । आज अभी सन 2010 चल रहा है । यानी कभी शुरूआत में सन 01 भी रहा होगा । यानी कि इसको दूसरे अंदाज में कहें । तो सन 01 से हमारे
पास एक लिखित रिकार्ड सा मौजूद है । तभी तो सन काउन्ट हुये । इसके ऊपर के समय को ईसा पूर्व कहते हैं । तो सवाल ये है ? कि 01 से पहले क्या स्थिति थी ? जो उसका रिकार्ड नहीं हो सका ? क्रमशः ।
विशेष -- ये सभी रहस्य मैंने एक स्थान पर धार्मिक ज्योतिष और इतिहास के शोधार्थियों हेतु लिखे
हैं । इन पर विस्त्रत चर्चा मेरे ब्लाग्स में शीघ्र पढने को मिलेगी ।

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Maharajji
Pranam,

Main aapse yah jaanna chahta hun ki kya ek kabirpanthi mandir mein ja sakata hai? kya ek brahaman kabirpanthi ban jane ke baad bhi devtaon ki pooja-archna kar sakta hai? kya kabir saheb pooja-paath dainik dincharya mein bhagvan ya kisi devi ya devta ki pooja karte the? sansay mein hun. Kripa kar ke jald aur sahi uttar batayein.

aapke uttar ki prateeksha mein

rajesh

Chain goswami ने कहा…

Apka number mil sakta hai kya ji ..9987616282